अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक कल्याण दिवस – 25 जुलाई
अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक कल्याण दिवस – 25 जुलाई: न्यायाधीशों के स्वास्थ्य और सिस्टम की गुणवत्ता का महत्त्व
प्रत्येक वर्ष 25 जुलाई को अब अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक कल्याण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस की मान्यता मार्च 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रस्ताव A/RES/79/266 के माध्यम से दी गयी थी। इस निर्णय में 160 देशों ने समर्थन, एक देश (अमेरिका) ने विरोध किया और तीन देशों (हैती, मेडागास्कर, सीरिया) ने तटस्थता अपनाई थी United Nations+2Digital Library+2Notopedia+2। पृष्ठभूमि
यह पहल 25 जुलाई 2024 को नौरू में न्यायिक कल्याण पर आयोजित सम्मेलन में पेश की गई नौरू डिक्लरेशन ऑन जूडिशियल वेल-बीइंग के माध्यम से शुरू हुई, जिसकी अध्यक्षता नौरू कोर्ट ऑफ अपील के जस्टिस रंगजीव विमलसेना ने की थी United Nationsjudicialcollege.vic.edu.au। इस डिक्लरेशन के सात मार्गदर्शक सिद्धांत न्यायपालिका में वेलबीइंग को संवैधानिक और संस्थागत महत्व देने के लिये थे।
न्यायिक कल्याण का महत्व
न्यायाधीशों, न्यायिक अधिकारियों और कोर्ट कर्मियों को दैनिक कार्य में भारी मानसिक, भावनात्मक, और शारीरिक दबाव का सामना करना होता है:
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लम्बे कार्य घँटे, जटिल मामलों का दबाब, निर्णय की जिम्मेदारी
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सार्वजनिक निगरानी, आलोचना व आलोचना से अलगाव
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मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे जैसे बर्न‑आउट, अवसाद, और तनाव
UNODC द्वारा 2021 में की गई सर्वेक्षण में सामने आया कि:
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76% न्यायाधीश पर्याप्त समय नहीं पा पाते अपनी देखभाल के लिए
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92% नियमित रूप से कार्य तनाव अनुभव करते हैं
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69% मानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा न्यायिक वातावरण में वर्जित विषय है
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83% ने कहा कि उनके न्यायिक संस्थान पर्याप्त सहारा नहीं देते हैं
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97% मानते हैं कि न्यायिक कल्याण को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है UNODC+4United Nations+4AffairsCloud+4।
इनसे स्पष्ट है कि न्यायिक कल्याण न्याय की गुणवत्ता और संवैधानिक निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
अंतर्राष्ट्रीय दिवस के उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र के इस दिन को नियुक्त करने के पीछे कई उद्देश्य हैं:
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न्यायिक कल्याण के महत्व से जुड़ी जागरूकता बढ़ाना और कलंक को हटाना
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न्यायिक संस्थानों में wellness नीतियों को बढ़ावा देना
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देशों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं पर संवाद को प्रोत्साहित करना
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यह स्पष्ट करना कि स्वस्थ न्यायाधीश बेहतर, निष्पक्ष और प्रभावी न्याय प्रदान करते हैं
इस दिवस को मनाने के लिए निम्न पहलों को देशों, न्यायालयों, विधि संस्थानों और नागरिक समाज को अपनाने हेतु आमंत्रित किया गया है:
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सार्वजनिक जागरूकता अभियान
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वेलनेस कार्यक्रम और हेल्थ वर्कशॉप
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पैनल चर्चाएँ एवं अनुसंधान मंच
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शैक्षणिक और सम्मानात्मक कार्यक्रम
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औपचारिक आयोजन और चर्चासत्र judicialcollege.vic.edu.auWikipedia+1Wikipedia+1
वैश्विक समर्थन और भागीदारी
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लगभग 70 देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया, जिनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, यूके, फ्रांस, जापान, नाइजीरिया और श्रीलंका शामिल हैं Australian Catholic UniversityNotopedia।
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यह प्रस्ताव UNODC, नौरू की स्थायी प्रतिनिधिमंडल, और जस्टिस विमलसेना की नेतृत्व में संयुक्त रूप से पेश किया गया Notopedia।
न्यायपालिका के लिए दीर्घकालिक असर
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मानसिक स्वास्थ्य को लोकतांत्रिक न्यायपालिका का हिस्सा माना जाएगा — जिससे न्यायाधीश मानसिक दबाव से मुक्त होकर बेहतर निर्णय कर सकेंगे।
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सहयोगी संस्कृति निर्माण — न्यायालय और विधिक संगठनों में समर्थन, समता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
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नीतिगत परिवर्तन — न्यायिक संस्थानों द्वारा स्थिर वेलनेस नीतियां और सहायता प्रणाली अपनाई जाएंगी।
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विश्वस्तरीय संवाद कायम होगा, जिससे देशों के बीच नवाचार और अनुभव साझा हो सके।
भविष्य की योजनाएँ
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अगस्त 2025 (20‑22 अगस्त) को पापुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेसबाय में एक International Conference on Judicial Integrity and Well-being आयोजित किया जा रहा है, जिसमें वैश्विक न्यायिक नेता और नीति निर्माता भाग लेंगे United Nations।
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Australian Catholic University जैसे संस्थान इस पहल में सक्रिय सहभागी हैं, जो न्याय शिक्षा में वेलबीइंग विषय को शामिल करने का कार्य करते हैं Australian Catholic University।
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक कल्याण दिवस एक ऐसा वैश्विक संदेश है कि न्याय केवल कानून की मशीन नहीं, बल्कि उसमें इंसान की भलाई और क्षमता का भी महत्व है।
जब न्यायाधीश सशक्त, स्वस्थ और समर्थ हों, तभी वे निष्पक्ष और न्यायसंगत निर्णय दे सकते हैं। यह दिवस न्यायपालिका के मानव पक्ष को पहचानने और उसे संरक्षित करने की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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