चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बना रहा है दुनिया का सबसे बड़ा बांध: भारत के लिए खतरे की घंटी?

चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बना रहा है दुनिया का सबसे बड़ा बांध: भारत के लिए खतरे की घंटी?

 

चीन ने ब्रह्मपुत्र पर शुरू किया दुनिया का सबसे बड़ा मेगाडैम: भारत-बांग्लादेश की चिंताएँ

चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग त्सांगपो (Brahmaputra) नदी पर 60 GW क्षमता वाले Motuo (Medog) Hydropower Station के निर्माण की शुरुआत कर दी है। यह परियोजना दुनिया का अब तक सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बनने का दावा करती है। (Wikipedia)

पृष्ठभूमि और तकनीकी पहलू

  • दिसंबर 2024 में इस परियोजना को मंजूरी मिली, और चीनी प्रधानमंत्री ली क़ियांग ने जुलाई 2025 में इसका भूमि-पूजन किया। (Wikipedia, The Times of India)
  • अनुमानित लागत ₹ 1 ट्रिलियन युआन (लगभग USD 137 अरब) है। (Wikipedia)
  • यह परियोजना तीन गोरजेस डैम की तुलना में तीन गुना अधिक बिजली उत्पादन करेगी—पिछले रिकॉर्ड से कहीं आगे। (ResponsibleUs)

यह परियोजना यारलुंग त्सांगपो घाटी में स्थित “ग्रेट बेंड” पर बनाई जा रही है, जो विश्व की सबसे गहरी स्थल-खाई है। यहाँ नदी को 20 किमी सुरंगों के माध्यम से मोड़कर पांच क्रमिक जलविद्युत स्टेशन बनाये जाएंगे और नदी के कुछ हिस्सों को सीधा कर संरचनात्मक दक्षता बढ़ाई जाएगी। (Engineering News-Record, ResponsibleUs)


 पर्यावरणीय और भूकंपीय जोखिम

  • यह इलाका भूकंपीय रूप से संवेदनशील है—2021 में एक शक्तिशाली भूकंप में चार जलाशयों को क्षति हो गई थी। (Reuters, ResponsibleUs)
  • ग्लेशियर्स से मिट्टी और पत्थर गिरने की घटनाओं ने नदी अवरुद्ध कर अस्थायी बाढ़ पैदा की थीं, जिससे भय पैदा होता है कि आने वाले समय में बांध अस्थिर हो सकता है। (ResponsibleUs, Reuters)
  • बाँध के निर्माण से निकटवर्ती पर्यावरण प्रणाली और स्थानीय आबादी के विस्थापन की आशंका बलवती है—तीन गोरजेस परियोजना में 1.4 मिलियन लोगों का विस्थापन हुआ था। (ResponsibleUs, International Campaign for Tibet)

 भारत और बांग्लादेश की आपत्तियाँ

भारत:

  • अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने इस परियोजना को “टिकिंग वॉटर बॉम्ब” बताया, जो किसी भी समय अचानक बाढ़ या सूखे की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। (Hindustan Times, The Economic Times)
  • केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर पारदर्शिता, हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करना, और जल साझाकरण समझौते की आवश्यकता जताई है। (Voice of America, Views Bangladesh, Financial Times)

बांग्लादेश:

  • अपनी सिंचाई मांगों के लिए ब्रह्मपुत्र पर निर्भरता को उजागर करते हुए, बांग्लादेश ने पर्यावरणीय और डिजास्टर इम्पैक्ट अध्ययन की रिपोर्ट्स की मांग की है। (Telegraph India, Views Bangladesh)
  • आँकड़ों से अनुमानित है कि मात्र 5% जल प्रवाह में कमी से कृषि उत्पादन में 15 % तक गिरावट संभव है। (Telegraph India, Reddit)

 भू-राजनीतिक तनाव और जल कूटनीति

  • यारलुंग त्सांगपो नदी का स्रोत चीन में होने के कारण भारत और बांग्लादेश को downstream के रूप में जल सुरक्षा का अधिकार सिद्ध करने में कठिनाई होती है, खासकर उसके बिना कोई आंतरराष्ट्रीय जल संधि मौजूद नहीं है। (Voice of America, Views Bangladesh, Financial Times)
  • भारत अपनी सीमा पर Lower Siang Dam शुरू करने पर विचार कर रहा है, ताकि भविष्य में जल अधिकार सुरक्षित रखे जा सकें। (Telegraph India)

 चीन की घोषणा और बहस

  • चीन का दावा है कि यह परियोजना पारदर्शी है, पारिस्थितिक रूप से सुरक्षित है, और downstream देशों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालेगी। (Voice of America, businesstoday.in)
  • हालांकि विशेषज्ञ इस पर संदेह करते हैं—a “run-of-river” डिज़ाइन होने के बावजूद, नदी प्रवाह में असंगतता और पानी पर नियंत्रण के डर दूर नहीं हुए हैं। (Reuters, businesstoday.in)

 निष्कर्ष

चीन की यह मेगा परियोजना एक बड़ा वैश्विक ऊर्जा लक्ष्य दर्शाती है, लेकिन इसके निर्माण से जुड़े भूकंपीय, पर्यावरणीय, और भू-राजनीतिक खतरों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। भारत और बांग्लादेश को चाहिए कि वे संयुक्त रूप से जल कूटनीति, पारदर्शिता, और मज़बूत अंतरराष्ट्रीय नियम का पालन कर इस चुनौती से निपटें।

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