राष्ट्रवाद क्या है? जानिए इसके प्रकार, महत्व और भारत में इसका इतिहास

राष्ट्रवाद क्या है? जानिए इसके प्रकार, महत्व और भारत में इसका इतिहास

राष्ट्रवाद (Nationalism) एक राजनीतिक और सामाजिक विचारधारा है, जिसमें व्यक्ति अपने राष्ट्र के प्रति गहरी निष्ठा, गर्व और समर्पण की भावना रखता है। राष्ट्रवाद का उद्देश्य राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखना होता है, और यह विचार करता है कि राष्ट्र के हित सर्वोपरि हैं।

राष्ट्रवाद की परिभाषा (Definition of Nationalism in Hindi):
“राष्ट्रवाद वह भावना है जिसमें कोई व्यक्ति अपने राष्ट्र की एकता, संस्कृति, इतिहास, भाषा और परंपराओं के प्रति गहरा प्रेम और निष्ठा रखता है।”

 राष्ट्रवाद के मुख्य तत्व (Main Elements of Nationalism):

राष्ट्र के प्रति प्रेम: देश के लिए गर्व और समर्पण की भावना।

सांस्कृतिक एकता: एक जैसी भाषा, धर्म, परंपरा या इतिहास से जुड़ाव।

राजनीतिक स्वतंत्रता: अपने देश की संप्रभुता बनाए रखना और बाहरी हस्तक्षेप का विरोध।

राष्ट्रीय पहचान: खुद को एक विशेष राष्ट्र का हिस्सा मानना।

भारत में राष्ट्रवाद का इतिहास:
भारत में राष्ट्रवाद की भावना ब्रिटिश शासन के दौरान तेज़ी से विकसित हुई।
महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं ने देशवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया।

1857 की क्रांति को राष्ट्रवाद की पहली लहर माना जाता है।

1905 का बंगाल विभाजन विरोध,

1919 का जलियांवाला बाग हत्याकांड,

और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन राष्ट्रवाद की प्रमुख घटनाएं रहीं।

राष्ट्रवाद के प्रकार:
प्रकार विशेषता
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद भाषा, धर्म, जाति या परंपरा पर आधारित
राजनीतिक राष्ट्रवाद संविधान, लोकतंत्र और समानता पर आधारित
उदारवादी राष्ट्रवाद स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है
अंधराष्ट्रवाद दूसरे राष्ट्रों या समूहों के प्रति असहिष्णुता रखता है

राष्ट्रवाद के फायदे (Pros):
देश की एकता और अखंडता को मजबूत करता है

नागरिकों में कर्तव्यबोध और राष्ट्रीय जिम्मेदारी की भावना लाता है

विकास और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करता है

संकट के समय जनता को एकजुट करता है

राष्ट्रवाद के नुकसान (Cons – जब यह अंधराष्ट्रवाद बन जाए):
अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव

वैश्विक सहयोग में बाधा

कट्टरता और हिंसा को बढ़ावा

संकीर्ण सोच और असहिष्णुता का जन्म

 निष्कर्ष (Conclusion):
राष्ट्रवाद एक शक्तिशाली भावना है, जो देश को एकजुट रखती है और विकास की प्रेरणा देती है। लेकिन जब यह संतुलन खो देती है, तो यह असहिष्णुता और संघर्ष का कारण भी बन सकती है। इसलिए राष्ट्रवाद को समावेशी और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ जोड़ना जरूरी है।

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