नई दूरसंचार नीति 2025 का मसौदा: डिजिटल युग की दिशा तय करता भारत
भारत सरकार ने 24 जुलाई, 2025 को नई दूरसंचार नीति (Draft Telecom Policy 2025) का मसौदा जारी किया है, जो देश के डिजिटल परिदृश्य को पूरी तरह से बदलने का लक्ष्य रखता है। यह नीति वर्ष 2018 की राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (NDCP) के बाद आई है और इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक दूरसंचार नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
नीति का दृष्टिकोण (Vision)
इस नई नीति का लक्ष्य है —
“एक नवाचार-आधारित, सुरक्षित, सतत और सार्वभौमिक रूप से जुड़ा हुआ भारत” बनाना।
इसमें 5G और 6G जैसी अगली पीढ़ी की तकनीकों को अपनाकर डिजिटल समावेशन, साइबर सुरक्षा और सतत विकास को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।
प्रमुख उद्देश्य
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रोजगार सृजन: 10 लाख से अधिक नई नौकरियों का सृजन और उतने ही लोगों का स्किल अपग्रेडेशन।
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कनेक्टिविटी: 2030 तक 100% आबादी को 4G और 90% को 5G से जोड़ने का लक्ष्य।
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सुरक्षा: साइबर सुरक्षा के साथ-साथ क्वांटम-सुरक्षित संचार की दिशा में कदम।
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स्थिरता: टेलीकॉम क्षेत्र के कार्बन उत्सर्जन में 30% की कटौती।
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अनुसंधान एवं विकास: भारत को 6G मानकीकरण की वैश्विक चर्चाओं में अग्रणी बनाना।
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घरेलू विनिर्माण: 2030 तक टेलीकॉम उपकरणों के घरेलू निर्माण में 150% की वृद्धि।
नीति की मुख्य विशेषताएं
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फाइबर कनेक्टिविटी: मोबाइल टावरों की फाइबर कनेक्टिविटी को 46% से बढ़ाकर 80% किया जाएगा।
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वाई-फाई हॉटस्पॉट: 10 लाख सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित किए जाएंगे।
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सैटेलाइट इंटरनेट: सीमावर्ती और ग्रामीण क्षेत्रों में सैटेलाइट इंटरनेट को प्राथमिकता।
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AI का उपयोग: नेटवर्क प्रबंधन, साइबर सुरक्षा और ग्राहक शिकायत निवारण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल।
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मोबाइल नंबर आधारित पहचान सत्यापन: केवाईसी प्रोसेस को आसान और पारदर्शी बनाने की योजना।
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टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग ज़ोन (TMZ): विशेष बुनियादी ढाँचा तैयार कर डिजाइन और निर्माण को बढ़ावा।
जानें अधिक: Department of Telecommunications – Official Draft Policy PDF
नई नीति की आवश्यकता क्यों?
2018 की NDCP ने कई सकारात्मक पहल कीं, लेकिन कुछ लक्ष्यों को पूरी तरह से हासिल नहीं किया जा सका। अब जब 5G पहले ही शुरू हो चुका है और 6G पर वैश्विक स्तर पर चर्चा शुरू हो चुकी है, तो नीति में बदलाव समय की मांग बन गई थी।
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पुरानी नीति का अद्यतन: तकनीकी उन्नति के साथ नीति को आधुनिक बनाना।
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वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत को 6G मानकीकरण में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार करना।
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सुरक्षा: बढ़ते साइबर खतरों से निपटने के लिए उन्नत रणनीति की जरूरत।
चुनौतियाँ
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तकनीकी जटिलता: 5G और 6G जैसी तकनीकों के लिए विशेष निवेश और विशेषज्ञता की जरूरत।
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साइबर सुरक्षा: AI-आधारित साइबर हमलों के बढ़ते खतरे।
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वित्तीय निवेश: स्थानीय विनिर्माण और आरएंडडी के लिए भारी निवेश आवश्यक।
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नियामक समन्वय: नीति लागू करने में केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल की ज़रूरत।
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सीमावर्ती हस्तक्षेप: सीमा क्षेत्रों में विदेशी सिग्नलों से हस्तक्षेप को कम करना।
आगे की राह
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पब्लिक कमेंट्स: नीति के मसौदे पर 30 दिन तक सार्वजनिक सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।
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निवेश आकर्षण: नीति घरेलू और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करेगी।
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कौशल विकास: तकनीकी प्रशिक्षण के लिए विशेष केंद्र और डिजिटल अकादमियां।
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अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: 6G और साइबर सुरक्षा में वैश्विक भागीदारों से तालमेल।
सरकार की अपील: सभी हितधारक और नागरिक MyGov प्लेटफॉर्म पर जाकर अपने सुझाव दें।
नीति का संभावित प्रभाव
क्षेत्र | प्रभाव |
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रोजगार | लाखों युवाओं को नए रोजगार और डिजिटल स्किल |
आर्थिक विकास | मैन्युफैक्चरिंग और R&D से GDP को बूस्ट |
डिजिटल समावेशन | ग्रामीण भारत तक इंटरनेट पहुंच |
पर्यावरण | ग्रीन टेलीकॉम का बढ़ावा |
वैश्विक छवि | भारत को 6G तकनीक में अग्रणी बनाना |
निष्कर्ष
नई दूरसंचार नीति 2025 केवल एक टेक्नोलॉजी नीति नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य की आधारशिला है। यह देश को डिजिटल संप्रभुता, आर्थिक शक्ति, और तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी।
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