दिलजीत दोसांझ को मिली अंतर्राष्ट्रीय एमी पुरस्कार में 'चमकीला' की बड़ी कामयाबी
दिलजीत दोसांझ को मिली अंतर्राष्ट्रीय एमी पुरस्कार में 'चमकीला' की बड़ी कामयाबी

दिलजीत दोसांझ को मिली अंतर्राष्ट्रीय एमी पुरस्कार में ‘चमकीला’ की बड़ी कामयाबी

भारतीय सिनेमा और संगीत के चमकते सितारे दिलजीत दोसांझ ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम लहराया है। इम्तियाज़ अली द्वारा निर्देशित बायोपिक “अमर सिंह चमकिला” में अपने प्रभावशाली और गहराई से भरे अभिनय के लिए दिलजीत को इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स 2025 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (Best Actor) की श्रेणी में नामांकित किया गया है।

यह फिल्म नेटफ्लिक्स ओरिजिनल के तौर पर रिलीज़ हुई थी और इसे टीवी मूवी/मिनी-सीरीज़ श्रेणी में भी नामांकन प्राप्त हुआ है। सबसे खास बात यह है कि “अमर सिंह चमकिला” 2025 में भारत की ओर से इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स में एकमात्र आधिकारिक एंट्री है। इस नामांकन की घोषणा न्यूयॉर्क स्थित इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ टेलीविज़न आर्ट्स एंड साइंसेज़ द्वारा की गई, जो 24 नवंबर 2025 को 53वें इंटरनेशनल एमी पुरस्कारों से पहले की गई थी।


फिल्म की कहानी: एक लोक कलाकार की अनकही दास्तान

अमर सिंह चमकिला” उस कलाकार की कहानी है जिसे पंजाब के लोक संगीत में क्रांतिकारी माना गया। चमकिला अपनी तेज-तर्रार गायकी, साहसी गीतों और जनमानस से गहरे जुड़ाव के लिए मशहूर थे। वे अक्सर समाज के उन पहलुओं को उजागर करते थे जिन्हें मुख्यधारा संगीत में जगह नहीं मिलती थी। उन्होंने पंजाबी युवाओं के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाई।

लेकिन उनकी लोकप्रियता के साथ-साथ विरोध भी बढ़ा, और अंततः 1988 में उनकी और उनकी पत्नी व गायिका अमरजोत की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनकी मौत आज भी रहस्य बनी हुई है, और उसी दर्दनाक सच्चाई को इस फिल्म में बड़ी संजीदगी से दिखाया गया है।


दिलजीत दोसांझ और परिणीति चोपड़ा की जोड़ी

फिल्म में दिलजीत दोसांझ ने चमकिला की भूमिका को इतना जीवंत बना दिया है कि दर्शक सिर्फ अभिनय नहीं देखते, बल्कि एक कलाकार की आत्मा को महसूस करते हैं। दिलजीत ने सिर्फ अभिनय नहीं किया, बल्कि चमकिला के भीतर के जुनून, संघर्ष और टूटन को बारीकी से आत्मसात किया।

उनके साथ परिणीति चोपड़ा अमरजोत की भूमिका में नज़र आईं, जो उनके जीवन की साझेदार और संगीत में उनकी जोड़ीदार भी थीं। दोनों कलाकारों की केमिस्ट्री और परफॉर्मेंस को दर्शकों और समीक्षकों दोनों से भरपूर सराहना मिली।


निर्माण और प्रस्तुति: इम्तियाज़ अली की गहरी दृष्टि

फिल्म का निर्देशन इम्तियाज़ अली ने किया है, जो “जब वी मेट” और “रॉकस्टार” जैसे संवेदनशील और सजीव फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। “अमर सिंह चमकिला” में भी इम्तियाज़ की सिनेमाई भाषा, प्रामाणिकता और लोक-संस्कृति के प्रति गहराई से जुड़ाव साफ नजर आता है।

इस बायोपिक को विंडो सीट फिल्म्स द्वारा निर्मित किया गया है, और इसका संगीत, सिनेमैटोग्राफी तथा संवाद संयोजन दर्शकों को 80 के दशक के पंजाब में ले जाते हैं।


प्रतिस्पर्धी नामांकन: कड़ी टक्कर

Best Actor श्रेणी में दिलजीत का मुकाबला इन नामों से है:

  • डेविड मिशेलLudwig (यूके)

  • ओरिओल प्लाYo, adicto (स्पेन)

  • डिएगो वास्केज़One Hundred Years of Solitude (कोलंबिया)

ये तीनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित कलाकार हैं, जो इस श्रेणी की प्रतिस्पर्धा को बेहद चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।

TV Movie/Mini-Series श्रेणी में फिल्म के प्रतिद्वंद्वी हैं:

  • Herhausen: The Banker and the Bomb (जर्मनी)

  • Lost Boys and Fairies (यूके)

  • Vencer o Morir (चिली)

इन फिल्मों से प्रतिस्पर्धा यह दर्शाती है कि “अमर सिंह चमकिला” न केवल एक स्थानीय कहानी है, बल्कि एक वैश्विक स्तर की प्रस्तुति है, जो अलग-अलग संस्कृतियों के दर्शकों को भी छू रही है।


भारत के लिए महत्व: वैश्विक मंच पर चमक

यह नामांकन भारत के लिए एक बड़ी सांस्कृतिक उपलब्धि है। इससे पहले भी भारत को इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स में पहचान मिली है:

  • 2020 में, नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ Delhi Crime ने Best Drama Series का खिताब जीता था।

  • 2021 में, हास्य कलाकार वीर दास को Best Comedy श्रेणी में पुरस्कार मिला था।

2025 के नामांकन में कुल 26 देशों से 64 दावेदार हैं, जो यह दर्शाता है कि दुनिया भर से कितनी विविध और गहन कहानियाँ सामने आ रही हैं। इस बीच भारत की एकमात्र एंट्री “अमर सिंह चमकिला” का चयन हमारे देश की रचनात्मकता और संवेदनशीलता की वैश्विक मान्यता का प्रतीक है।


निष्कर्ष: लोक संस्कृति से लेकर वैश्विक मान्यता तक

“अमर सिंह चमकिला” एक साधारण गायक की असाधारण कहानी है, जो अब विश्व मंच पर एक प्रेरणादायक मिसाल बन गई है। दिलजीत दोसांझ का एमी अवॉर्ड्स के लिए नामांकन सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोक संस्कृति, मूल कहानियों और संगीत परंपराओं की वैश्विक स्वीकार्यता का संकेत है।

जहाँ एक ओर यह फिल्म हमें चमकिला की करुण और साहसी गाथा से जोड़ती है, वहीं दूसरी ओर यह भारतीय सिनेमा को नए अंतरराष्ट्रीय आयामों तक पहुँचाती है।

अब सबकी निगाहें 24 नवंबर 2025 को होने वाले इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स समारोह पर टिकी हैं। क्या दिलजीत दोसांझ भारत के लिए एक और ऐतिहासिक जीत दर्ज करेंगे?
हमें पूरी उम्मीद है कि “चमकिला” की आवाज़ इस बार दुनिया भर में गूंजेगी।

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