भारत की औद्योगिक अर्थव्यवस्था अगस्त 2025 में हल्की गति से आगे बढ़ी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में साल-दर-साल 4.0% की वृद्धि दर्ज की गई, जो सतत सुधार का संकेत देती है, लेकिन साथ ही आंतरिक मांग में असमानता और कमजोर क्षेत्रों की चुनौती को भी उजागर करती है।
औद्योगिक उत्पादन का समग्र परिदृश्य
अगस्त की वृद्धि दर, यद्यपि सकारात्मक है, लेकिन यह अर्थशास्त्रियों द्वारा अनुमानित 5% की वृद्धि से थोड़ी कम रही। यह सूचकांक, जो खनन, निर्माण और बिजली जैसे मुख्य औद्योगिक क्षेत्रों के प्रदर्शन को मापता है, देश की आर्थिक गति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
जुलाई 2025 का IIP डेटा संशोधित होकर 4.3% पर पहुँचा, जो एक ओर सुधार का संकेत देता है, तो दूसरी ओर यह भी स्पष्ट करता है कि मांग और निवेश में स्थायित्व अभी भी हासिल नहीं हुआ है।
सेक्टरवार विश्लेषण: कौन-सा क्षेत्र बना ताकत, कौन रहा कमजोर?
1. खनन क्षेत्र (Mining):
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वृद्धि: 6.0%
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पिछला महीना (जुलाई): -7.2% संकुचन
खनन क्षेत्र में यह वृद्धि एक प्रभावशाली पुनरुत्थान है। इसमें तेजी का कारण सरकारी अवसंरचना परियोजनाओं में मांग और कच्चे माल की वैश्विक कीमतों में स्थिरता भी हो सकती है।
2. निर्माण क्षेत्र (Manufacturing):
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वृद्धि: 3.8%
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पिछला महीना: 6.0%
औद्योगिक उत्पादन में सबसे बड़ा योगदान देने वाला यह क्षेत्र धीमी गति से बढ़ा है। यह दर चिंता पैदा करती है, क्योंकि निर्माण क्षेत्र रोजगार और निर्यात दोनों में बड़ी भूमिका निभाता है।
3. बिजली क्षेत्र (Electricity):
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वृद्धि: 4.1%
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पिछला महीना: 3.7%
यह क्षेत्र स्थिर गति से आगे बढ़ रहा है, जो मांग और उत्पादन गतिविधियों में ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति को दर्शाता है।
उपयोग-आधारित रुझान: माँग और निवेश की असल तस्वीर
औद्योगिक उत्पादन का उपयोग-आधारित वर्गीकरण यह बताता है कि कौन-से उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ रही है और कौन-सी घट रही है। अगस्त 2025 के आँकड़े इसके लिए मिश्रित संकेत देते हैं:
श्रेणी | वृद्धि/गिरावट | मुख्य संकेत |
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उपभोक्ता स्थायी वस्तुएँ (Consumer Durables) | +3.5% | सीमित मांग; शहरी उपभोक्ताओं की खरीद में सुधार |
उपभोक्ता गैर-स्थायी वस्तुएँ (Non-Durables) | -6.3% | घरेलू आवश्यक वस्तुओं की खपत में गिरावट, ग्रामीण मांग कमजोर |
पूंजीगत वस्तुएँ (Capital Goods) | +4.4% | निवेश में वृद्धि, लेकिन जुलाई (6.8%) से धीमी |
इन्फ्रास्ट्रक्चर/निर्माण सामग्री | +10.6% | सरकारी खर्च में उछाल, निर्माण क्षेत्र को सहारा |
विशेष टिप्पणी:
उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं में -6.3% की गिरावट, घरेलू मांग में कमजोरी की ओर संकेत करती है। इससे यह साफ होता है कि मुद्रास्फीति या खर्च करने की शक्ति में गिरावट अभी भी उपभोक्ताओं पर असर डाल रही है।
संचयी प्रदर्शन: वित्त वर्ष की धीमी शुरुआत
वित्तीय वर्ष 2025–26 (FY26) के अप्रैल से अगस्त तक की संचयी वृद्धि 2.8% रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि (4.3%) से काफी कम है।
इसका क्या अर्थ है?
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आरंभिक तिमाही में आर्थिक सुस्ती: महामारी के बाद की रिकवरी और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने चाल धीमी कर दी है।
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सरकारी निवेश पर निर्भरता: अधिकांश वृद्धि का श्रेय सरकार द्वारा बढ़ाए गए पूंजीगत खर्च को जाता है, जबकि निजी क्षेत्र का निवेश अभी भी सतर्क बना हुआ है।
अवसर और चुनौतियाँ: आगे की दिशा
अवसर:
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इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश: निर्माण सामग्री में 10.6% की वृद्धि दर्शाती है कि सरकारी योजनाएँ जमीन पर उतर रही हैं।
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खनन में सुधार: नीतिगत स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय मांग से यह क्षेत्र और गति पकड़ सकता है।
❗ चुनौतियाँ:
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घरेलू उपभोक्ता मांग कमजोर: विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जिससे गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री प्रभावित हो रही है।
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निजी निवेश में धीमापन: पूंजीगत वस्तुओं की वृद्धि दर लगातार घट रही है, जो आर्थिक आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है।
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वैश्विक अनिश्चितता: तेल की कीमतें, व्यापारिक भू-राजनीति और निर्यात बाजारों में अस्थिरता उद्योगों पर असर डाल सकती है।
निष्कर्ष: सतर्क आशावाद के साथ आगे बढ़ने का समय
अगस्त 2025 का IIP डेटा एक मिश्रित तस्वीर पेश करता है। जहाँ कुछ क्षेत्र स्पष्ट रूप से सुधार की राह पर हैं, वहीं कुछ सेक्टर अभी भी आर्थिक अनिश्चितताओं से जूझ रहे हैं। यदि भारत को FY26 में तेज़ और स्थायी वृद्धि चाहिए, तो घरेलू मांग को पुनर्जीवित करना, निजी निवेश को बढ़ावा देना, और उद्योगों के लिए नीति स्थिरता बनाए रखना आवश्यक होगा।
सरकारी पूंजीगत व्यय पहले से ही इन्फ्रास्ट्रक्चर और खनन क्षेत्रों को सहारा दे रहा है। अब समय है कि निजी क्षेत्र और उपभोक्ता विश्वास भी इसमें भागीदार बनें — ताकि औद्योगिक उत्पादन केवल 4% पर नहीं रुके, बल्कि दो अंकों की गति की ओर बढ़े।
मुख्य आंकड़े – एक नजर में
संकेतक | अगस्त 2025 में परिवर्तन |
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कुल IIP | +4.0% |
खनन | +6.0% |
निर्माण | +3.8% |
बिजली | +4.1% |
उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुएँ | -6.3% |
पूंजीगत वस्तुएँ | +4.4% |
अप्रैल–अगस्त FY26 संचयी IIP | +2.8% (FY25 में 4.3%) |